परीक्षाएं

  • कक्षा 6 से 12 तक के छात्राओं के लिए वर्ष में दो परीक्षाएं होंगी-

A- अक्टूबर के अंत में अर्धवार्षिक।

B- फरवरी-मार्च में वार्षिक परीक्षा इन परीक्षाओं का अंक प्रगति-पत्र में छात्र/ छात्रा के प्रोन्नति के लिए जोड़ा जाएगा। इन दो परीक्षाओं के अलावा कक्षा 6 से 12 तक के विद्यार्थियों के लिए त्रैमासिक एवं मासिक परीक्षाएं होंगी, जिनका विवरण डायरी में अंकित किया जाएगा।

  • माता-पिता/अभिभावकों से निवेदन है कि वह इन परीक्षाओं में अपने बच्चों की प्रगति पर समुचित ध्यान दें तथा उनकी पढ़ाई में समय दें।
  • परीक्षाओं में प्राप्त लब्धांको के पुनर्निरीक्षण का काम विशेष परिस्थितियों में ही होता है। ऐसा प्रधानाचार्य की इच्छा वह विवेक पर निर्भर है।
  • कक्षा में नियमित उपस्थिति अनिवार्य है। यदि किसी छात्रा की साल भर में 75% से कम उपस्थिति रहती है, तो उसे परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा।
  • जो विद्यार्थी किसी परीक्षा में बीमारी की वजह से नहीं बैठ सके हैं उन्हें मान्यता प्राप्त चिकित्सक का प्रमाण पत्र संभव परीक्षा काल में ही देना होगा। तभी उस पर विचार किया जाएगा।
  • कोई भी परीक्षा नियत समय से पहले या बाद में नहीं ली जाएगी, न ही छात्रा की अनुपस्थिति के कारण कोई पुनः परीक्षा ली जाएगी।
  • कोई भी छात्रा परीक्षा में किसी को नकल करने में मदद करती है या किसी की मदद लेती है तो उसे संपूर्ण परीक्षा से बहिष्कृत कर दिया जाएगा। उसे परीक्षा में 0 अंक दिया जाएगा एवं उसे इस अपराध के लिए स्कूल से निष्कासित किया जा सकता है।

 

प्रोन्नति

 

कक्षा में प्रोन्नति के लिए छात्रा को सभी परीक्षाओं में सभी विषयों में न्यूनतम 40% अंक लाना अनिवार्य होगा। 33% से कम अंक प्राप्त करने पर छात्रा को उत्तीर्ण किया जाएगा। कक्षा 6 से 11 तक अगली कक्षा में प्रोन्नति के लिए अर्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं का औसत योग आधार माना जाएगा।

  • जो विद्यार्थी आकस्मिक कारण से किसी विषय की परीक्षा में नहीं बैठ पाते, उन्हें योग्यता क्रम में कोई स्थान नहीं दिया जाएगा।
  • यदि कोई विद्यार्थी आकस्मिक कारणों से, जो कि स्कूल को मान्य एवं वैध हो, पूर्ण या आंशिक परीक्षा में नहीं बैठ पाता तो उसे वर्ष भर की प्रगति के आधार पर खासकर मासिक परीक्षाओं के आधार पर कक्षोन्नति दी जा सकती है।
  • एक बार कक्षोन्नति के संबंध में निर्णय हो जाने पर दुबारा उस पर विचार नहीं किया जाएगा।
  • जो छात्रा साल भर पढ़ने में लापरवाही बरतती हो और पढ़ने में कमजोर हो, उसे स्कूल छोड़ने पर बाध्य होना पड़ सकता है। एक ही कक्षा में दो बार अनुत्तीर्ण होने पर उस छात्रा को स्कूल से निष्कासित किया जाएगा।
  • किसी भी प्रकार का संदेह, जो कि कक्षोन्नति के संबंध में पैदा हो सकता है, के निराकरण का संपूर्ण अधिकार प्रधानाचार्य को ही है।