पुस्तकालय के नियम
छात्राओं को यह ध्यान रखना चाहिए कि विद्या ही सर्वधन है तथा अध्ययन ही मनुष्य को पूर्ण बनाता है।
पढ़ने की आदत बनाएं केवल पन्ने उलटना या साहित्यिक पाखंड दिखाने के लिए आडंबर नहीं, बल्कि ठीक ढंग से विचार करते समझते हुए और पढ़ी हुई प्रत्येक बात का मनन विश्लेषण करते हुए आगे बढ़े, ताकि वह मस्तिष्क में ठीक से बैठे। केवल इसी तरह आप अपने अध्ययन को उपयोगी बना सकते हैं।
- पुस्तकालय से 1 सप्ताह के लिए ही कोई पुस्तक दी जाएगी यदि इस पुस्तक की किसी दूसरी छात्रा को आवश्यकता नहीं तो पुनः 1 सप्ताह के लिए दी जा सकती है।
- संदर्भ के लिए कुछ पुस्तकें तथा पत्रिकाएं पुस्तकालय में ही रहेंगी।
- पुस्तकालय में तथा पुस्तकालय के बाहर पुस्तक की रक्षा करना आपका कर्तव्य है। पुस्तक में लिखना, रोशनाई के धब्बे लगाना, पृष्ठों को फाड़ना आदि क्षम्य नहीं होगा।
- पुस्तकालय में शांति बनाए रखना आपका कर्तव्य है।
- स्टाफ तथा छात्रों को पुस्तकें इसलिए दी जाती है कि वे स्वयं उनका अध्ययन करेंगे। किसी दूसरे को अध्ययन करने के लिए देना विश्वसनीय नहीं होता।
- नियमों की अवहेलना करने पर दंड मिलेगा। खो जाने पर पुस्तक का मूल्य पुस्तकालय को देना होगा।